महाकवि देव वाक्य
उच्चारण: [ mhaakevi dev ]
उदाहरण वाक्य
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- महाकवि देव ने शृंगार को रसराज माना।
- कलाकवि, आचार्य कवि और महाकवि देव
- ब्रजभाषा का विख्यात महाकवि देव अपनी वृद्धावस्था में उसके दरबार में उपस्थित हुआ था।
- महाकवि देव का जन्म सन् १ ६ ७ ३ में जिला इटावा में हुआ था।
- रीतिकाल के रीतिग्रंथकार कवि हैं महाकवि देव (१६७३-१७६७) का जन्म इटावा, उत्तर-प्रदेश में हुआ था।
- शायद उन्हीं जैसी किसी को देख कर महाकवि देव ने लिखा होगा-रूप तो खत्रानी को।
- शायद उन्हीं जैसी किसी को देख कर महाकवि देव ने लिखा होगा-रूप तो खत्रानी को।
- हिन्दी के उत्तर मध्य काल की रीति काव्य परम्परा में महाकवि देव की विशिष्ट देन रही है।
- शायद उन्हीं जैसी किसी रूपसी को देखकर मध्यकाल के महाकवि देव ने लिखा था-रूप तो खत्रानी को।
- शायद उन्हीं जैसी किसी रूपसी को देखकर मध्यकाल के महाकवि देव ने लिखा था-रूप तो खत्रानी को।
- मैं तो बहुत तुच्छ रचनाकार हूं महाकवि देव को और उनकी लेखनी को साक्षात् दंडवत प्रणाम है ।
- मित्रों जब मैं बजरंग बिहारी तिवारी का भाषण सुन रहा था तो लग रहा था कि मैं बड़ा भाग्यशाली हूँ जो बच गया वरना हिंदी की दुनिया में रीतिकाल के महाकवि देव को अगर उद्धृत करके कोई अपनी बात को साबित करना चाहे तो समझ लीजिये उसकी आफत आ गई ।
- तरु, लता, गुल्म, कुंज और कुटीर, सर-सरोवर, मंदिर-मठ, टीले, स्तूप, हरीभरी छोटी-छोटी पहाड़ियां, कोरे और भोरे ग्वाल तथा गौरी और चिरकिशोरी गोपियां एवं उनके सर्वस्व युगल प्रिया-प्रियतम राधाकृष्ण हमारे मन के हिंडोले पर ऐसे झूलने लगते हैं कि जैसे महाकवि देव कह रहे हों-'झूलत है हियरा हरि कौ, हिय मांहि तिहारे हरा के हिंडोरे।'
- हमारे प्राचीन और अर्वाचीन कवियों जैसे पद्माकर, महाकवि देव, महाकवि ठाकुर, सेनापति, भूषण, बिहारी व भरतेन्दु जी ने बसंत को ऋतुत्सव, दुलेबसंतिया, मदनमहोत्सव, मधु ऋतु, ऋतुराज, ऋतुनाम, कुसुमाकर और बसंतोत्सव आदि नाम दे इसकी महत्ता को गौरवान्वित किया, साथ ही नाना प्रकार के छंद विधान में काव्य रचना कर बसंत का अभिनंदन किया है।
- | प्रतियोगिता से सम्बन्धित आवेदन पत्र आयुध कार्यालय / शूटिंग रेंज पर प्राप्त किये जा सकते हैं-वरिष्ठ कोषाधिकारी संजय सिंह | इटावा जनपद प्रदर्शनी में गुरुवार को दिन में 10 बजे से स्टेडियम में पुरुष बालीवाल प्रतियोगिता होगी | 11 बजे पंडाल में महाकवि देव श्रीनरायन चतुर्वेदी कविता पाठ प्रतियोगिता होगी और शाम पांच बजे स्थानीय संगीत प्रतियोगिता प्रथम पाली में होगी | इटावा-आकस्मिकता के लिये 108 डायल करें और फायर सेवा के लिये 101 डायल करें,मोबाइल नम्बर 9454418419 और 9454418420 है |
- 248 संचारी भाव के भेद है-भरत मुनि ने 33 संचारी भाव माने है (निर्वेद, ग्लानि, शंका, असूया, मद, श्रम, आलस्य, देन्य, चिंता, मोह, स्मृति, घृति, ब्रीडा, चपलता, हर्ष, आवेग, जड़ता, गर्व, विषाद, औत्सुक्य, निद्रा, अपस्मार, स्वप्न, विबोध, अमर्ष, अविहित्था, उग्रता, मति, व्याधि, उन्माद, मरण, वितर्क) महाकवि देव ने 34 वां संचारी भाव छल माना लेकिन वह विद्वानों को मान्य नहीं हुआ।
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